*चलो नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं*…..
चलो नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं
अपनों से ही विश्वास की पहचान करते हैं
अगर वह देख कर हमें हमसे नजर चुराए
तो फिर हम क्यों उनके पहलू मैं बैठने की
ख्वाहिश रखते हैं।
चलो जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं………
उनकी नजर अंदाजगी का जवाब
अब हम भी नजर झुका कर देते हैं
वह हमसे चार कदम दूर बैठे हैं
मगर वह मेरे अपने हैं मेरी तो नजर में बसै बैठे
उनकी नाराजगी का जवाब हम मुस्कुरा कर देते हैं
चलो जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं…..……
घूम रहे हैं वह भी इधर-उधरअजनबी की तरह
अगर पसंद नहीं है उन्हें हमारी तरफ देखना
तो हम भी कहीं दूर से यह नजारा देख रहे हैं
टूट रहे हैं रिश्ते सिर्फ मैं के लिए
इन टूटे हुए रिश्तो के हम गुनाहगार बनते हैं।
चलो जिंदगी की नई शुरुआत…..…
@स्वरचित मौलिक रचना
हरमिंदर कौर, अमरोहा (उत्तर प्रदेश)