Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2022 · 1 min read

चढ़ती उम्र

बचपन पीछे छूट रहा हो, तन पर तरुणाई आने लगे।
चंदा को मामा कहने में, जिभ्या खुद ही सकुचाने लगे।
दर्पण में खुद को देख – देख, जब अंतर्मन हर्षाने लगे।
जब अपना मुखड़ा अपने मन को,मन ही मन में भाने लगे।
जब लोरी सुनने वाला बचपन, गीत प्यार के गाने लगे।
जब प्रीति की बातें सुन कर कोई, अपने बाल बनाने लगे।
तब दादा – दादी कहते हैं, कि पढ़ने में ध्यान लगाना है।
चढ़ती उम्र यही होती है, इसको बहुत बचाना है।

जब आँखों में चंचलता आए, होंठो पर मुस्कान सजे।
पढ़ने से ज्यादा सजने पर ,जब खुद का सारा ध्यान लगे।
खींच – खींच कर सेल्फी कोई, जब देखा करे तन्हाई में।
खुद की फोटो देख – देखकर, घूमे घर अंगनाई में।
अपने कॉलेज दोस्तों से जब, देर तलक बतियाने लगे।
कभी प्यार मनुहार करे, और कभी उन्हें धमकाने लगे।
तब समझो उसका प्यारा बचपन,निश्चित ही खो जाना है।
चढ़ती उम्र यही होती है, इसको बहुत बचाना है।

कलम हाथ में आते ही, कागज पर दिल का आकार बने।
उस आकार के भीतर फिर, चुपके से कोई प्यार लिखे।
वह चीजें अच्छी लगने लगें, जिनको करने से रोके सब।
वह बातें प्यारी लगने लगे, जिन पर घरवाले टोके सब।
जब मम्मी पापा से प्यारा, जीवन में कोई लगने लगे।
जब नाम हथेली पर चुपके से,और किसी का लिखने लगे।
तब ऐसे नाजुक हालातों में, उसे अच्छा बुरा समझाना है।
चढ़ती उम्र यही होती है, इसको बहुत बचाना है।
– रमाकांत चौधरी एडवोकेट , उत्तर प्रदेश।
(यह रचना स्वलिखित, मौलिक, अप्रकाशित है)

184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वक्त यूं बीत रहा
वक्त यूं बीत रहा
$úDhÁ MãÚ₹Yá
फ़ासले
फ़ासले
Dr fauzia Naseem shad
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
खूबसूरत लम्हें जियो तो सही
Harminder Kaur
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
जड़ता है सरिस बबूल के, देती संकट शूल।
आर.एस. 'प्रीतम'
धैर्य धरोगे मित्र यदि, सब कुछ होता जाय
धैर्य धरोगे मित्र यदि, सब कुछ होता जाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिक्र क्या जुबा पर नाम नही
जिक्र क्या जुबा पर नाम नही
पूर्वार्थ
प्रेम गजब है
प्रेम गजब है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
Life
Life
C.K. Soni
💐प्रेम कौतुक-158💐
💐प्रेम कौतुक-158💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आसमाँ के अनगिनत सितारों मे टिमटिमाना नहीं है मुझे,
आसमाँ के अनगिनत सितारों मे टिमटिमाना नहीं है मुझे,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
*यौगिक क्रिया सा ये कवि दल*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2346.पूर्णिका
2346.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आज का चयनित छंद
आज का चयनित छंद"रोला"अर्ध सम मात्रिक
rekha mohan
कुछ तो बात है मेरे यार में...!
कुछ तो बात है मेरे यार में...!
Srishty Bansal
".... कौन है "
Aarti sirsat
विडम्बना
विडम्बना
Shaily
बेटी बेटा कह रहे, पापा दो वरदान( कुंडलिया )
बेटी बेटा कह रहे, पापा दो वरदान( कुंडलिया )
Ravi Prakash
#आस्था_पर्व-
#आस्था_पर्व-
*Author प्रणय प्रभात*
बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
बहुत याद आता है वो वक़्त एक तेरे जाने के बाद
Dr. Seema Varma
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
बात तो सच है सौ आने कि साथ नहीं ये जाएगी
Shweta Soni
*
*"शिक्षक"*
Shashi kala vyas
दीपावली त्यौहार
दीपावली त्यौहार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जीवन
जीवन
Monika Verma
मुश्किल है कितना
मुश्किल है कितना
Swami Ganganiya
हर रोज याद आऊं,
हर रोज याद आऊं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
माँ शारदे...
माँ शारदे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
अपात्रता और कार्तव्यहीनता ही मनुष्य को धार्मिक बनाती है।
Dr MusafiR BaithA
स्याह रात मैं उनके खयालों की रोशनी है
स्याह रात मैं उनके खयालों की रोशनी है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
Loading...