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21 Jan 2023 · 1 min read

चंपई (कुंडलिया)

चंपई (कुंडलिया)
________________________________
रंगत उसकी चंपई , सोने जैसा गात
उजला – उजला लग रहा ,मानो शुभ्र प्रभात
मानो शुभ्र प्रभात , केश बिखरे हैं काले
जादू – भरी सुगंध , नयन लगते मतवाले
कहते रवि कविराय ,चार क्षण की भी संगत
जिसने पाई धन्य , हुई उस ही की रंगत
________________________________
गात = शरीर
शुभ्र = सफेद , उजला
चंपई = चंपा के फूल के रंग का , हल्का पीलापन लिए उज्ज्वल वर्ण जिससे नायिका के गौर वर्ण की उपमा दी जाती है।
______________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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