चंद हाइकु …
चंद हाइकु …
संग दामिनी
धक-धक धड़के
प्यासा दिल
तड़पा गई
विगत अभिसार
बैरी चपला
घनों में भोर
पयोद घनघोर
शिखी का शोर
छुप न पाया
विरह का सावन
दर्द बहाया
खूब नहाई
रूप की अंगड़ाई
रुत लजाई
सुशील सरना
चंद हाइकु …
संग दामिनी
धक-धक धड़के
प्यासा दिल
तड़पा गई
विगत अभिसार
बैरी चपला
घनों में भोर
पयोद घनघोर
शिखी का शोर
छुप न पाया
विरह का सावन
दर्द बहाया
खूब नहाई
रूप की अंगड़ाई
रुत लजाई
सुशील सरना