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19 Oct 2022 · 1 min read

घोर अंधेरा …………….

घोर अंधेरा

…………….

हुआ विदा सन्नाटा अब

कालापन नहीं दिखायेगा ,

फिर से आकर घोर अँधेरा

हमको नहीं डरायेगा !

नया उजाला पाकर वो

सूनेपन में छुप जायेगा ,

दुख के काले गहरे बादल

अब करीब ना आयेगा !

भरी सिसकियो से वो मौसम

मुझको नहीं रुलाएगा ,

खुशियो की सौगात लिए वह

इक दिन सम्मुख आएगा !

कंटिल पथ पर वो बिखेर देगा

फिर से इक नया नजारा ,

सारा दुख घबराकर फिर तो

दूर भाग वह जायेगा !

दोनो हाथो से खुशियों का

दामन स्वयं पकड़ लूंगी ,

और बांध लूंगी उसको मैं

विश्वासों के आंचल में ,

पाकर अपनापन नवीन वो

फिर मेरा हो जायेगा !

कलतक थी बेचैन बहुत मैं

रात बिताना मुश्किल था ,

भर देगा वह नया रंग

मेरे इस सूने जीवन में ,

धीरे धीरे सहलाकर वह

मीठी नींद सुलायेगा !

“कविता चौहान”

Language: Hindi
1 Like · 280 Views
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