जानता हूं
घाव मिले फिर भी मुस्कुराना जानता हूं
दर्द दिल का बखुबी छिपाना जानता हूं
चाहत की राहों से कतई भी अंजान नही
प्यार करता हूं प्यार निभाना जानता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट(मध्य प्रदेश)
घाव मिले फिर भी मुस्कुराना जानता हूं
दर्द दिल का बखुबी छिपाना जानता हूं
चाहत की राहों से कतई भी अंजान नही
प्यार करता हूं प्यार निभाना जानता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बालाघाट(मध्य प्रदेश)