घर से उठकर
घर से उठकर
चलती हूं
भारी मन से
कहीं भटकने के लिए
निकलती हूं
किसी से मिलने के लिए
मन कुछ हल्का होता है
वापिस अपने गंतव्य स्थान के
लिए जैसे ही मुड़ता है
फिर मन आहिस्ता आहिस्ता
भारी होने लगता है
अगली सुबह के इंतजार में।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001