घनाक्षरी
सुर घनाक्षरी
सृजन शब्द -बरखा
बदरी काली है छाई,
बरखा बहार आई,
कली कली मुस्कुराई,
छटा चम-चम
सज गयी डाली डाली,
चहुँ ओर हरियाली,
कोयल भी कूके काली
बजे सरगम।
रिमझिम रिमझिम,
बूंदों की झम- झम,
मयूर की छम्म- छम्म,
होती हरदम।
ठंडी ठंडी पवन चले,
पत्तों पर ओस ढले,
लगें दिन भले भले,
गर्मी कम-कम
सीमा शर्मा ‘अंशु’