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21 Nov 2018 · 1 min read

गज़ल:- तुझे आज से बेवफा लिख रहा हूँ

तेरे जुल्म की इन्तेहा लिख रहा हूँ !
तुझे आज से बेवफा लिख रहा हूँ !!

हया लिख रहा हूँ, अदा लिख रहा हूँ !
तेरे हुस्न को आइना लिख रहा हूँ !!

मिले हैं मुझे गम मुहब्बत में जितने !
उन्हें मै वफ़ा का सिला लिख रहा हूँ !!

हथेली पे जब भी लिखू नाम तेरा !
लगे जैसे कोई दुआ लिख रहा हूँ !!

हरिक लफ्ज में जिक्र आता है तेरा !
भले कोई मिसरा नया लिख रहा हूँ !!

भले नाखुदा है सितमगर है जालिम !
मगर फिर भी उसको खुदा लिख रहा हूँ !!

लिफाफे में रख कर ये दिल अपना साहिल !
मै ऊपर तुम्हारा पता लिख रहा हूँ !!
A.R.Sahil

2 Likes · 1 Comment · 296 Views
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