गज़ल:- तुझे आज से बेवफा लिख रहा हूँ
तेरे जुल्म की इन्तेहा लिख रहा हूँ !
तुझे आज से बेवफा लिख रहा हूँ !!
हया लिख रहा हूँ, अदा लिख रहा हूँ !
तेरे हुस्न को आइना लिख रहा हूँ !!
मिले हैं मुझे गम मुहब्बत में जितने !
उन्हें मै वफ़ा का सिला लिख रहा हूँ !!
हथेली पे जब भी लिखू नाम तेरा !
लगे जैसे कोई दुआ लिख रहा हूँ !!
हरिक लफ्ज में जिक्र आता है तेरा !
भले कोई मिसरा नया लिख रहा हूँ !!
भले नाखुदा है सितमगर है जालिम !
मगर फिर भी उसको खुदा लिख रहा हूँ !!
लिफाफे में रख कर ये दिल अपना साहिल !
मै ऊपर तुम्हारा पता लिख रहा हूँ !!
A.R.Sahil