ग्रंथ समीक्षा- बुंदेली दोहा कोश भाग-1
ग्रंथ समीक्षा-
बुंदेली दोहा कोश भाग-1 (संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी’)
बुंदेली साहित्य अभियुत्थान के लिए आदरणीय राजीव नामदेव “राना लिधौरी” जी का परिश्रम और योगदान अभिनंदनीय है। श्री राना जी के साथ कई उपलब्धियाँ व पुरस्कार जुड़े है ( हाल ही में 51000) रुपये का महाराजा छत्रसाल पुरस्कार , साहित्य अकादमी से मिला है , जो सर्वविदित है | जय बुंदेली साहित्य समूह की स्थापना कर बुंदेली काव्य लेखन हेतु कवि लेखको को एक मंच पर लाया व सृजन हेतु प्रेरित किया , प्रतियोगिताएँ आयोजित की है।श्री राना जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हम कितना ही लिखें , कम ही प्रतीत होगा। अनेक उपलब्धियाँ इनके नाम अंकित है
अब चर्चा करते है हाल ही में प्रकाशित “” बुंदेली दोहा कोश “” की जिसका प्रथम भाग प्रकाशित हुआ है।
बुंदेली शब्द कोष तो विद्वानो के आ गए थे , पर एक कमी थी ” बुंदेली दोहों का विषय वार कोई कोष नहीं थी , पर यह भी कमी पूरी करने का श्री गणेश हो गया है , प्रथम भाग प्रकाशित हो चुका है
इस कोष में विषय युक्त बुंदेली दोहों के साथ , दोहा छंद में दोहा विधान है , समकल विषम कल , दग्धाक्षर, अनुस्वार , अनुनासिक,
काव्य के प्रमुख दोष , इत्यादि सभी सरल भाषा में दोहा छंद से ही अवगत कराया गया है ,
इस बुंदेली दोहा कोश में 70 कवियों के विषय वार दोहे है एवं 8 पुराने एवं स्थापित बुंदेली दोहाकारों के दोहे धरोहर के अंतर्गत दिये गये है।
एक- एक दोहे में विषय शब्द के अलावा , कवि की कलम से अनेक बुंदेली शब्दों का रसास्वादन पाठकों को आनंदित करता है ,
315 पृष्ठों का यह दोहा कोश प्रकाशित है , सम्पादक श्री राजीव नामदेव “राना लिधौरी” जी है व जे टी एस पब्लिकेशन दिल्ली है एवं मूल्य 700रु.सजिल्द है।
यह बुंदेली दोहा कोश पठनीय है एवं शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
प्रकाशन पर आदरणीय राना लिधौरी जी को हार्दिक बधाई 🌹
**
-सुभाष सिंघई
जतारा टीकमगढ़ (म.प्र.)