गौरतलब बातें
सवाल खड़े करने वाले
लोग अक्सर मिल जायेंगे, समाधान पूछे बिफर जायेंगे .
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सत्ता पर काबिज सरकार, विरोध का दमन करे, उनको अनसुना कर दें.
उसे काबिल नहीं कहा जा सकता .
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जहां धर्म राजनीति,
राजनीति धर्म की आड़ में, छुपकर काम करें,
जनता के अहित निश्चित हैं !
पटाखों पर पाबंदी थी,
तो बिके कैसे,
छुटाये किसने.
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किसी नासमझ को एक सीमा तक ही समझाया जा सकता है, फिर उसे सही उपचार के लिए, सही स्थान पर पहुंचने के लिए छोड देना चाहिए
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इतिहास अगर मार्गप्रशस्त न करे
वह इतिहास नहीं, अनुभव नहीं.
ठगी का एक साधन मात्र है .
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एक तथाकथित धार्मिक पाखंडी का दिमाग, किस तरफ चलता है. थाली में दीपक,बत्ती, दियासलाई,
पुष्प आदि चढावा पूरा है के नहीं .