गोरी कइलू तू सोलह सिङ्गार
गोरी कइलू तू सोलह सिङ्गार, ( भोजपुरी लोकगीत )
भोजपुरी:- लोकगीत लेखन
#दिनांक:- १५/०६/२०२१
#रस :- श्रृंगार रस
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गोरी कइलू तू सोलह सिङ्गार, मगन मन होला हमार।।
लह – लह लहरें ला धानी चुनरिया।
जान मारे देखऽ गोरी तोहरो मुनरिया।
कजरा कइले बा-२ सगरो अन्हार।
मगन मन होला हमार।।
सावरी सुरतिया, सुनरऽ ओंठ लाली।
हियरा के खायल करेला कान बाली।
टिकुला चमके ला-२ चम – चम लिलार।
मगन मन होला हमार।।
रुनझुन रुनझुन जी, बाजे पायलिया।
वनवा में बोले ले जइसे कोयलिया।
राग लागेला-२ जइसे मल्हार।
मनग मन होला हमार।।
जुड़ा में सोहेला, गोरी तोहरे गजरा।
अखियां में नीक लागे कारी तोरे कजरा।
मनवा मोहेला-२ घुंघटा ओहार।
मगन मन होला हमार।।
रहिया चलेलू, करेलू अठखेली।
विधान बनवलन ई कइसन पहेली।
तू चलेलू तऽ-२ हिले बिहार।
मगन मन होला हमार।।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण,
बिहार