गुलशन
गुलशन सजते है गुलों से
पतझड़ से, खारो से नहीं।
भंवरा कलि को फूल बना देते
भले उसकी सच्ची कदर होती नहीं ।
फूल महल में पले या कुटिया में
प्यास में दोनो की कोई अन्तर नहीं ।
माली कोई भी हो मगर ख्याल रहे
पतझड़ में भी गुलशन ऊजड़े नहीं ।।
गुलशन सजते है गुलों से
पतझड़ से, खारो से नहीं।
भंवरा कलि को फूल बना देते
भले उसकी सच्ची कदर होती नहीं ।
फूल महल में पले या कुटिया में
प्यास में दोनो की कोई अन्तर नहीं ।
माली कोई भी हो मगर ख्याल रहे
पतझड़ में भी गुलशन ऊजड़े नहीं ।।