गुरु वंदन …..
प्रथम चरण वंदन गुरु देव को, राह अस्तित्व की दियो बताये।
मुझे निर्जन शिला से, घिस घिस कर नगीना दियो बनाये ।।
कितने शुभ दिवस पर बना आज पावन संजोग
गुरु गणपति संग आयो है गुरु दिवस का योग ।।
गुरु महिमा बखान क्या कीजे , मन बुद्धि गुरु से निर्मल होये ।
बिन गुरु जीवन पत्थर समान, पड़े हाथ गुरु के मोती बन जाये ।।
जीवन के श्रंगार को रूप मिले माता पिता के प्रेम ज्ञान से ।
खुशबू के रंग भरता गुरु, जीवन महकता उनके कल्याण से ।।
नमन हर उस इंसान को जो जीवन में मेरे आता है ।
देकर अच्छे बुरे अनुभव कुछ न कुछ सिखा जाता है ।।
!
!
!
डी. के निवातियाँ _____@@@