गुरु महिमा!
गुरु की महिमा,
जब होती है तार-तार,
हिल जाता है भरोसा,
दिल होता है जार -जार,
हमने तो सिखा भी है,
गुरु गोविंद दोनों खड़े,
काके लागूं पांव,
बलिहारी गुरु आपकी,
जो गोविंद दियो बताय,
उस देश के गुरु में,
धर्म संप्रदाय का यह प्रयास,
मासूम जनों के दिलो दिमाग में,
नफरत का जहर घोल दिया,
और गुरु की महिमा को खंडित कर दिया!