गुरु पूर्णिमा पर हाइकु छंद
गुरु श्रीराम
मार्गदर्शक हमें
नमन तुम्हें ।
युगद्रष्टा थे
जान न सके हम
क्षमा करना ।
वेदमूर्ति हो
ज्ञान साधक रहे
पुराण लिखा ।
तपोनिष्ठ भी
फल हमको दिया
ऋणी तुम्हारे ।
भविष्य वक्ता
अब सच लगता
ध्यान न दिया ।
माता -पिता सा
दुलार देते रहे
हम अज्ञानी।
हे युगऋषि
रखी आधारशिला
युग निर्माणी।
बतायी राह
बदलेंगे नहीं हम
शिष्य तुम्हारे ।
साथ रहोगे
यह वादा आप का
विश्वास हमें ।
राजेश कौरव सुमित्र