गुरु चरणों की धूल*
गुरु चरणों की धूल*
स्थाई
गफ़लत की पुनिया से मोड़ ये सार
की पुनिया में,अस करना भरतार।
बस रुठी की बिगरी में जोड़ ये आता
हा हारे,खबर रखें भरतार।।
अन्तरा -१
इंसा ही इंसा इयूं सरेआम है मारे,
गुनिया उसे देती शाबाशी जहां सारे।
हे ग़रीब नवाज़ स्वरसरि धार दय
अंजली है,भव का करों उद्धार।।
अस करना भरतार—
अन्तरा -२
रॅंगी राही गुरु कनक झनक ग गाना।
रवि हंगामा स्वरसरि धार बहाना।।
गीतों की अदला-बदली हो जाती वाॅट
साप पर, धन्य है कलाकार।।
गफ़लत की पुनिया से मोड़ ये सार की
पुनिया में,अस करना भरतार—
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाँसी