गुरु चरणों की धूल
गुरु चरणों की धूल
मन मोहक रावरे
अंशी सेठी अजा के फ़िज़ा के रावरे
चैन दर्शन जिया नहीं बिन रावरे।
साद जगता नहीं मन चैनों अमन,
गुल मुरझाया मनमोहन मेरे रावरे।
रोग मनवा लगाएं ढूंढे वृन्दावन,
रीति प्रीतिकर मोहन न निभाएं रावरे।
दर्श बिन चैन गया सुख हिये मेरा,
विरह वेदना न सही जाएं रावरे।
संग संगनि तेरी बावरी हे दई,
घाट यमुना पे निरखत हे रावरे।
प्रीत कुब्जा की मुझे भूला कृष्ण दिया,
छल छंद कान्हा दिखलाएं रावरे।
याद आऊॅंगी भव ठौर यमुना जी तब,
प्रीति की वो परख कब जानोगे रावरे।
राधा रमण मनोहर भाते यहीं,
रास लीला रचें रास बिहारी रावरे।
रोग पूंछते सभी कौन बीमारी हो गई,
प्रीत के गीत ये कैसे सुनाऊं रावरे।
हम बहायें जा रहें हैं नीरो नहर,
प्रेम जाल कुब्जा से निकल आ रावरे।
रॅंगी राही प्रज्ञा कनक झनक माॅं की,
रवि हंगामा स्वरसरि धार रावरे।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
पठौरिया झाँसी