Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2022 · 2 min read

“गुरुनानक जयंती 08 नवम्बर 2022 पर विशेष” : आदर एवं श्रद्धा के प्रतीक -गुरुनानक देव

हमारे देश की विशेषता है कि यहाँ विभिन्न धर्मों के अनुयायी साथ- साथ एवं प्रेम पूर्वक रहते हैं | सभी धर्मों में बहुत से महापुरुष हुए हैं ,जिन्होंने अपनी वाणी से भाई- चारा एवं एकता का सन्देश दिया है | ऐसे ही एक महापुरुष थे गुरुनानक देव जिन्हें सिक्खों का प्रथम गुरु कहा जाता है | गुरुनानक देव के जन्मदिवस को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है |
गुरुनानक देव का जन्म 1469 ईस्वी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन लाहौर से कुछ दूर तलवंडी नामक गाँव में पिता कालुचंद व माता तृप्ता देवी के घर, खत्री कुल में हुआ था | पाकिस्तान स्थित तलवंडी को आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है |
कहा जाता है कि नानक देव जन्म के समय रोने के बजाय हँस रहे थे |इनकी जन्म पत्री देखकर एक ज्योतिषी ने कहा था कि यह बालक बड़ा प्रतापी होगा |सारा संसार इसके चरणों में सिर झुकाएगा | और समयांतर में यह भविष्यवाणी सच होकर भी रही |
नानकदेव बचपन से ही साधु संतों की संगत में बैठते थे और उनसे बातें करते रहते थे |उनका मन पढ़ने लिखने में कम ही लगता था |पिता उनका मन व्यापार में लगाना चाहते थे लेकिन वह सामान खरीदने हेतु दिए धन को साधु संतों के भोजन आदि पर खर्च कर दिया करते थे|
बालपन में ही पिता ने इनका विवाह सुलक्खनी नामक कन्या से किया| उनसे इनके दो पुत्र श्रीचंद व लख्मीदास भी हुए परन्तु इनका मन गृहस्थी में न लगा | समय के साथ इनकी धार्मिक प्रवृति बढ़ती चली गयी और उन्होंने घर त्याग दिया | तव उन्हें समझाने के लिए पिता ने मरदाना नमक एक मुस्लिम गवैये को उनके पास भेजा ,पर वह स्वयं नानक के उपदेशों से प्रभावित होकर उनका ही शिष्य बन गया था |
गुरुनानक जगह- जगह जाकर उपदेश देते थे कि ईश्वर एक है और सभी को उसी ईश्वर ने बनाया है| हिन्दू मुसलमान सभी एक ही परमात्मा की संतान हैं | उसके लिए सब बराबर हैं | ईश्वर सत्य रूप है |अच्छे काम करो जिससे परमात्मा के दरबार में लज्जित न होना पड़े |
गुरुनानक देव सिक्ख पंथ के प्रथम गुरु कहलाते हैं | उनके पश्चात नौ गुरु और हुए हैं | गुरुनानक देव मक्का ,मदीना ,बग़दाद, काबुल ,कंधार आदि स्थानों पर भी गए | गुरु नानक देव अपनी यात्रा के अंतिम दौर में करतारपुर में भी रहे |यहाँ उन्होंने लहना नामक बालक को अपना शिष्य बनाया जो की आगे चलकर गुरु अंगद देव के नाम से उनकी गद्दी का उत्तराधिकारी हुआ | गुरुनानक देव का निधन 1539 ईस्वी में लगभग 70 वर्ष की आयु में हुआ |
गुरुनानक देव अपना कोई पृथक संप्रदाय नहीं चलाना चाहते थे | उनका परमात्मा में अटल विश्वास था | गुरुनानक देव की वाणी का पाठ अत्यंत आदर व श्रद्धा के साथ किया जाता है और सदैव किया जाता रहेगा |
सत्य भूषण शर्मा , प्रवक्ता -पत्रकार ,उदयपुर (राजस्थान )

Language: Hindi
1 Like · 155 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
*****देव प्रबोधिनी*****
*****देव प्रबोधिनी*****
Kavita Chouhan
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
दोस्ती और प्यार पर प्रतिबन्ध
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
💐प्रेम कौतुक-163💐
💐प्रेम कौतुक-163💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
सुबह और शाम मौसम के साथ हैं
सुबह और शाम मौसम के साथ हैं
Neeraj Agarwal
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Mannato ka silsila , abhi jari hai, ruka nahi
Mannato ka silsila , abhi jari hai, ruka nahi
Sakshi Tripathi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हंसना - रोना
हंसना - रोना
manjula chauhan
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
मोदी जी का स्वच्छ भारत का जो सपना है
gurudeenverma198
बखान गुरु महिमा की,
बखान गुरु महिमा की,
Yogendra Chaturwedi
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
तुम कहते हो की हर मर्द को अपनी पसंद की औरत को खोना ही पड़ता है चाहे तीनों लोक के कृष्ण ही क्यों ना हो
$úDhÁ MãÚ₹Yá
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
*आसमान से आग बरसती【बाल कविता/हिंदी गजल/गीतिका 】*
*आसमान से आग बरसती【बाल कविता/हिंदी गजल/गीतिका 】*
Ravi Prakash
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
मंगलमय हो आपका विजय दशमी शुभ पर्व ,
Neelam Sharma
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
प्रेमदास वसु सुरेखा
चांद पर भारत । शीर्ष शिखर पर वैज्ञानिक, गौरवान्वित हर सीना ।
चांद पर भारत । शीर्ष शिखर पर वैज्ञानिक, गौरवान्वित हर सीना ।
Roshani jaiswal
अँधेरी गुफाओं में चलो, रौशनी की एक लकीर तो दिखी,
अँधेरी गुफाओं में चलो, रौशनी की एक लकीर तो दिखी,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
Bhupendra Rawat
वो पढ़ लेगा मुझको
वो पढ़ लेगा मुझको
Dr fauzia Naseem shad
जाने कितने ख़त
जाने कितने ख़त
Ranjana Verma
बचपन बेटी रूप में
बचपन बेटी रूप में
लक्ष्मी सिंह
वेला
वेला
Sangeeta Beniwal
रूप तुम्हारा,  सच्चा सोना
रूप तुम्हारा, सच्चा सोना
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
**** मानव जन धरती पर खेल खिलौना ****
**** मानव जन धरती पर खेल खिलौना ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
कवि दीपक बवेजा
मैं अपने अधरों को मौन करूं
मैं अपने अधरों को मौन करूं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
🥀*गुरु चरणों की धूल* 🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2675.*पूर्णिका*
2675.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...