गुम होता अस्तित्व भाभी, दामाद, जीजा जी, पुत्र वधू का
भाई का स्त्रीलिंग बहन बनाकर
भाभी का अस्तित्व मिटा दिया,
पुत्र का स्त्रीलिंग पुत्री बनाकर
पुत्रवधू को कहां छुपा दिया ?
कहां गए दामाद और जीजा जी ?
अपनी मर्जी से व्याकरण बना दिया,
अपनी सुविधानुसार जाति और रिश्ते को
एक ही विषय में घुसा दिया,
स्त्री जाति का बोध कराए जो
उसे स्त्रीलिंग की संज्ञा दी जाती है ,
तो क्या दादा का स्त्रीलिंग मामी हो जाती है ?
पुरुष जाति का बोध कराए जो
उसे पुलिंग कहा जाता है,
तो क्या चाची का पुलिंग नाना बन जाता है ?
स्त्रीलिंग पुलिंग की परिभाषा पर
दादा-मामी, चाची-नाना, खरे उतरते हैं,
तो क्यों परीक्षा में दादा का मामी लिखने पर
बच्चों के नंबर कटते हैं?
यह तो सरासर बकवास है
खेल खेल में बनाया हुआ इतिहास है,
क्यों बच्चों के भविष्य के साथ
खिलवाड़ कर रहे हो ?
अरे अब तो जाग जाओ
कहां सो रहे हो ??????????