गुमनाम
गुमनाम (दुर्मिल सवैया )
गुमनाम करो न कभी उसको जिसका हर काम महान रहा।
जिसने अपना बलिदान दिया नहिं जीवन का कुछ ध्यान रहा।
सबके हित की परवाह जिसे उसकी स्मृति को नित याद रखो।
प्रिय नाम सदा जपते रहना उसका पद चिह्न सदैव लखो।
जिसको जनता अरु राष्ट्र लगे अति स्नेहिल उर्मिल उच्च सदा।
गुम हो वह नाम नहीं मन से दिल में नित हो वह शीर्ष सदा।
घर की जिसको कुछ सोच नहीं बस राष्ट्र महान लगे जिसको।
मन मन्दिर में रखना शिव को गुमनाम करो न कभी उसको।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।