गीत
गीत
ई मनई के जनम दुबारा , के जाने कब पाई के
संगत मिली चोर से केके , सत्संगति में जाई के
आज मिलल बा सत्संगति तब , राम नाम गुन गावs तूँ
सबमें प्रभु के निरखs केहू , के मति जिया दुखावs तूँ
तहरो भीतर प्रभु बानी तब, तहरो जिया दुखाई के
ई मनई के जनम दुबारा , के जाने कब पाई के
मति केहूपर रोब जतावs , मति केहूके तड़पs तूँ
एक बाति के गाँठ लगालs , मति केहूके हड़पs तूँ
हड़पल धन के का करबs धन , ऊपर लेके जाई के
ई मनई के जनम दुबारा , के जाने कब पाई के
बोवs बिघिन कहीं मति बिचरs , सबके मेल करावत तूँ
हँसत रहs अवधू जिनिगीभर , सबके चलs हँसावत तूँ
तहरा जाते जग डहको कहि , अइसन फेरु हँसाई के
ई मनई के जनम दुबारा , के जाने कब पाई के