गीत 26
गीत
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एक गीत गाँव का लिखे कोई ,
आकर के उजियारे सूरज के दीप ।।
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जगत ने जलाया था ,
जलद ने उजाड़ दिया ।
अपनों से वंचित मन ,
बार बार ज़हर पिया ।
एक गीत छाँव का लिखे कोई ,
मोती की आशा में रहती है सीप ।।
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गीले दिन दरिया में ,
बह जाते रोज मुए ।
टूट रहे दरपन से ,
सपनों को कौन छुए ।
एक गीत नाव का लिखे कोई ,
नजर नहीं आता है साहिल समीप ।।
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सदा दर्द नियति नहीं ,
मंगलाचरण भी हैं ।
तिमिर तने पर्वत के ,
पीछे किरन भी हैं ।
एक गीत भाव का लिखे कोई ,
आशाएँ मन का आँगन जातीं लीप ।।
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©श्याम सुंदर तिवारी