गीत
**दुनिया कहवाॅं जाता बा**
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का केहू बतला पाई ई दुनिया कहवॉं जात बा।
चकचोन्हीं से पता चले ना दिन बाटे कि रात बा।।०।।
लइकाईं के खेल पुरनका,बिसरल नवका खेल में।
लइका के हठ देखि पुरनिया ,परल रहता बा जेल में।
पिण्ड छोड़ावे देइ मोबाइल,बदल रहल हालात बा।
चकचोन्ही…………।।१।।
लइकन खातिर समय न बाटे,अजुके माई-बाप के।
जब लइके नालायक होजा, खोबसें अपने आप के।।
बाकिर का खोबसन से होई,कहत-सुनत हित-नात बा।
चकचोन्ही…………..।।२।।
आखिर में ई ध्यान रहे कि समय निकालीं तनकीसा।
बड़ दुलार दीं साथे रहिके,कहीं सिखावत कुछ किस्सा।।
तब देखब् कि ऊ समाज में,केतना सभ्य कहात बा।
चकचोन्ही………….।।३।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**