गीत 13
गीत
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जितने पेड़ लगाए हमने ,
सबके सब मुरझाए हैं ।।
जीवन के उज्ज्वल पक्षों पर ,
जमते काले साए हैं ।।
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समय हुआ कपटी सन्यासी ,
रखता पुड़िया राख की ।
कमली गर्भवती है उसको ,
आज जरूरत दाख की ।
बाकी सारे नुस्खे उसने ,
पहले ही अजमाए हैं ।।
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काँटो को किरीट पहनाया ,
राजतंत्र ने शौक से ।
प्यास बुझाने वाला सोता ,
रखता यारी जोंक से ।
मन को बहलाने गीत मधुर ,
कृष्ण काग ने गाए हैं ।।
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फिर भी हूक भरी है उर में ,
कनकी उजली भोर की ।
आएगा दिन सभी खुलेंगी ,
कसी ग्रन्थियाँ डोर की ।
छोटे से गमले ने हँस कर ,
नीले फूल खिलाए हैं ।।
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©श्याम सुंदर तिवारी