गीत 11
गीत
बीज है जीवन
चले माटी से माटी तक ।
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प्रस्फुटित हो कोंपलें बनकर
बढ़े।।
श्रम लगन से दौड़ता पर्वत चढ़े ।
जीत है जीवन
जलेगा सुबह गाती तक।।
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घर माटी का फिर भी,
वही अन्न दाता ।
उपजाता सब, भूख प्यास का
है त्राता ।
जल पवन जंगल उसी के
फूल घाटी तक।।
श्याम सुंदर तिवारी