गायत्री जयंती
गायत्री जयंती/ गंगा दशहरा पर्व
दस दोहे
गंगा के दो रूप हैं, एक धरा पर नीर।
दूजा बुद्धि विवेक का , गायत्री के तीर ।।
एक साथ अवतार है ,कहते वेद पुरान।
एक बही जल धार बन, दूजे समझो ज्ञान ।।
गंग दशहरा नाम से, पूजित गंगा मात ।
ज्ञान शक्ति अवतार में ,गायत्री सब गात ।।
भगीरथी गंगा हुई, तप बल विश्वामित्र ।
गायत्री साधक हुए,क्षत्रिय त्याग चरित्र ।।
पर्व जयंती पूजते, गुरु बशिष्ठ को आज ।
वेद मूर्ति श्रीरामने, किये जगत हित काज।।
गायत्री की साधना,सबके हित की बात ।
श्री राम आचार्य कहा, गायत्री जग मात।।
सारे बंधन मुक्त कर, हटा दिया प्रतिबंध ।
एक शर्त ही आचरण,मंत्र जाप अनुबंध ।।
जगत गुरू आचार्य जी, गायत्री जप मंत्र ।
युग परिवर्तन के लिए, बना गये शुभ तंत्र ।।
आचरण व्यवहार बदल,मानव बने महान ।
शूद्र जन्म सबका रहा, कर्म देत सम्मान ।।
अब बारी है आपकी,रखना गुरु का ध्यान ।
जीवन जीने की कला, देगी सबको मान।।
राजेश कौरव सुमित्र