गाथा जीवन की सदा ,गाता तन का कर्म (कुंडलिया)
गाथा जीवन की सदा ,गाता तन का कर्म (कुंडलिया)
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गाथा जीवन की सदा ,गाता तन का कर्म
रक्खा क्या सिद्धांत में ,यह कब जीवन – मर्म
यह कब जीवन-मर्म ,असल जो जीवन जीता
व्यर्थ मंत्र – उच्चार ,अर्थ बिन सब कुछ रीता
कहते रवि कविराय , गर्वमय वह ही माथा
कथनी के अनुरूप ,उच्च जो जीवन-गाथा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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मर्म = रहस्य