Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2022 · 1 min read

गांव के घर में।

शायद कोई किस्सा उठा है गांव के घर में।
और मेरा भी हिस्सा लगा है गांव के घर में।।

मैंने सबकुछ छोड़ दिया था बहुत पहले ही।
बटवारे में जलजला उठा है गांव के घर में।।

✍✍ताज मोहम्मद✍✍

Language: Hindi
Tag: शेर
752 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
!! ख़ुद को खूब निरेख !!
Chunnu Lal Gupta
माँ का जग उपहार अनोखा
माँ का जग उपहार अनोखा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
तुम मत खुरेचना प्यार में ,पत्थरों और वृक्षों के सीने
श्याम सिंह बिष्ट
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/60.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
मैं खुद से कर सकूं इंसाफ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ कला का केंद्र गला...
■ कला का केंद्र गला...
*Author प्रणय प्रभात*
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
Sunil Suman
शिव छन्द
शिव छन्द
Neelam Sharma
*दिल का दर्द*
*दिल का दर्द*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
भले ई फूल बा करिया
भले ई फूल बा करिया
आकाश महेशपुरी
शाश्वत और सनातन
शाश्वत और सनातन
Mahender Singh
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
umesh mehra
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
कवि दीपक बवेजा
पापा के परी
पापा के परी
जय लगन कुमार हैप्पी
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
तमगा
तमगा
Bodhisatva kastooriya
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
Ajay Kumar Vimal
💐प्रेम कौतुक-409💐
💐प्रेम कौतुक-409💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
देव विनायक वंदना
देव विनायक वंदना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आओ दीप जलायें
आओ दीप जलायें
डॉ. शिव लहरी
कैलाश चन्द्र चौहान की यादों की अटारी / मुसाफ़िर बैठा
कैलाश चन्द्र चौहान की यादों की अटारी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
समाज या परिवार हो, मौजूदा परिवेश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
काले दिन ( समीक्षा)
काले दिन ( समीक्षा)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
वाह मेरा देश किधर जा रहा है!
कृष्ण मलिक अम्बाला
सफर कितना है लंबा
सफर कितना है लंबा
Atul "Krishn"
उदघोष
उदघोष
DR ARUN KUMAR SHASTRI
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ms.Ankit Halke jha
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
इस धरा का इस धरा पर सब धरा का धरा रह जाएगा,
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
कुदरत है बड़ी कारसाज
कुदरत है बड़ी कारसाज
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...