” गाँव की एक शाम “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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आ गयी एक
मधुर वेला
लालिमा है
छा गयी !
थक गया हो
सूर्य देखो
नींद उसको
आ गयी !!
पक्षियों की
चहचहाट
संकेत सबको
दे रही है !
हो गयी सब
कार्य शैली
रात देखो
आ गयी है !!
बाट तकते
हैं सभी
है प्रतीक्षा
जोर पे !
आश अपनों
का है उनको
जो गए थे
भोर से !!
मंद -मंद
बयार बहकर
सहलाता है
तन बदन को !
चाँद की
अनुपम छटा से
शीतलता
भरता नयन को !!
अब हमारी
बात है
अब हमारी
रात है !
हम बिताएंगे
मधुर क्षण
कल तो
कल की
बात है !!
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका