ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
एक ताज़ा #ग़ज़ल
दिनांक _ 16/10/2024,,,
बह्र __ 1222 1222 1222 1222,,,
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
1,,
दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती ,
बुरा करने पे लोगों की, सज़ाएं कम नहीं होती ।
2,,
किसी को माफ़ करने से , ख़ुदा राज़ी हुआ करता ,
सदाक़त की निगाहों से , वफ़ाएं कम नहीं होती ।
3,,
न करना ज़ब्त ये आँसू , बरसने दो ग़मे दरिया ,
गुज़र जाता है सावन जब,घटाएं कम नहीं होती।
4,,
तकब्बुर तोड़ता सबको, न करना तुम कभी यारों,
तशद्दुद करने वालों पर , बलाएं कम नहीं होती।
5,,
न बोलो झूठ दुनिया में , पकड़ में आ ही जाता है ,
तभी जब आंधियाँ आती ,हवाएं कम नहीं होती ।
6,,
मुहब्बत “नील” बांटो ,हर घड़ी बरकत ही बरकत है,
दुआ मिलने से दुनिया में ,शिफ़ाएं कम नहीं होती ।
✍️नील रूहानी.. 16/10/2024,,,,,,,,🥰
( नीलोफर खान )
शब्दार्थ __
तशद्दुद _आक्रमण // तकब्बुर _ घमंड ,,
सदाक़त _ सत्यता,सच्चाई ,,,// बलाएं _ मुसीबत,,,,