ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
एक ताज़ा #ग़ज़ल , 🌹💖
दिनांक,,,10/06/2024,,,,
बह्र….1222 1222 1222 1222,,,
क़ाफिया _ ओर // रदीफ़ _ होगी क्या पता था ये ।
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1,,
शरारत जोश में पुरज़ोर होगी क्या पता था ये ,
मेरे दिल का उभरता शोर होगी क्या पता था ये।
2,,
ज़रा सी बात पर भी रूठ जाते हैं वो अक्सर ही,
मुहब्बत इस क़दर कमज़ोर होगी क्या पता था ये।
3,,
जिसे समझा नहीं पाए ,दिलों जां मानकर हम भी ,
वही आख़िर हमारी पोर होगी क्या पता था ये ।
4,,
मिटाए गम खुशी देकर ,सँभाला था मुझे उस दम,
नचाती आँगना को, मोर होगी क्या पता था ये।
5,,
निभाया है सभी रिश्तों को उसने खूबियों के सँग ,
सलीके से जिगर का कोर होगी क्या पता था ये ।
6,,
मेरी चलती हुई राहों को उसने मंज़िलें बख्शीं,
ज़माने में मुकद्दर “नील” होगी क्या पता था ये।
✍️नील रूहानी….10/06/2024,,,,
( नीलोफर खान )