ग़ज़ल _ शबनमी अश्क़ 💦💦
ग़ज़ल
बह्र…212 212 212 212,,
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
1,,
शबनमी अश्क़ , भीगी हुई रात में ,
मुस्कुराने लगे , बात ही बात में ।
2,,
सुरमई रौशनी , पास आने लगी ,
चाँद की हो गई , इक मुलाक़ात में ।
3,,
ओस इतरा रही थी , गुलाबों पे भी ,
भीगती ही रही , खूब बरसात में ।
4,,
पल में इस शाख पे, पल में उस शाख पर,
चाल चलती रही , जीत में मात में ।
5,,
जानना है मुझे , तुम बताओ अगर ,
ज़ात तेरी मिली , क्यूं मेरी ज़ात में।
6,,
रब के महबूब से ,जब मुहब्बत हुई,
लुत्फ़ आने लगा, “नील” को नात में ।
✍️नील रूहानी,, 07/06/2024,,,,💦
💦 ( नीलोफर खान)💦