ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
नमन साथियों 🙏🌹
दिनांक _ 28/07/2024,,
बह्र,,,,1222 – 1222 – 1222 – 1222
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💕 #गज़ल 💕
1,,
मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
ये सावन का महीना है, सजन मुझको रिझाये है !!
2,,,
सुहागन मन चहकता है, सजी है तीज हरियाली !
हरी चूड़ी, निराली है , ये कुंकुम लाल भाये है !!
3,,,,
खनकती चूड़ियाँ झिलमिल,हरी पोशाक मेहँदी भी!
किया शृंगार साजन के लिये , सजनी दिखाये है !!
4,,,,
भले त्योहार सावन के , पिया के साथ हम हैं खुश !
जिधर देखो पड़े झूले , सखी झूला झुलाये है !!
5,,,,,
सजी पैरों में पायल है , छनक झन्कार बाजे सब!
बरसते हैं जिधर बादल , उधर साजन बुलाये है !!
6,,,
ये बिजली क्यूं चमकती ‘नील’ दिल डरता,कड़क से ही !
वो कोयल कूकती फिरती , पपीहा सुर में गाये है !!
✍नील रूहानी,,28/07/2024,,,🌷
( नीलोफ़र खान ) 🌷