ग़ज़ल _ मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ।
आदाब दोस्तों 🌹🥰
दिनांक – 19/06/2024
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बह्र _ 2122 2122 212
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
काफ़िया _ इयां
रदीफ़ ग़ैर मुरद्फ् (बिना रदीफ़)
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गज़ल
1,,,,
मिल गयी क्यूँ इस क़दर तनहाईयाँ ,
मांगती अब जिन्दगी , रानाइयाँ ।🤔
2,,
साथ अपना ,भी हँसी था याद है,
दरमियां कैसे बनी , ये खाइयाँ ।🤨
3,,,
नफरतों के बीज ,किसने बो दिये ,
क्यूँ इधर आबाद हैं खामोशियाँ ।🤔
4,,,
आज तक समझे नहीं ये बात हम,
दरमियाँ क्यूं थी , हमारे दूरियाँ ।🤨
5,,
फ़ितरती कुछ लोग थे ,जो मिट गये ,
भूल जाओ ,उनकी अब बदमाशियाँ ।🤔
6,,,
जिन्दगी फिर से नयी जी लें चलो ,
पास अब , आने न देंगे तल्खियाँ ।🤨
7,,,
‘नील’ का एहसान था , हम फिर मिले,
गल्तियों को भूले , पायें शोखियाँ ।😎😍
✍नील रूहानी,, ( नीलोफ़र खान)
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