ग़ज़ल _ मांगती इंसाफ़ जनता ।
दिनांक _ 14/06/2024
बह्र… 2122 2122 2122
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
काफ़िया.. आ /// रदीफ़… हो
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#गज़ल
1,,,
मांगती इन्साफ़ जनता, अब सज़ा हो,
उन गुनाहों का , यहीं पर फैसला हो ।
2,,,
ज़ुल्म बढ़ता जा रहा, मदहोश हैं सब,
अब कोई आगाज़ , इक बदलाव का हो ।
3,,,
हर तरफ़ आतंक , फैलाया है किसने,
आहटें कहती ज़मीं से , ज़लज़ला हो ।
4,,,
बे – गुनाही ढूंडती , ज़ालिम किधर है ,
क़ैद में आये तो सर उसका झुका हो ।
5,,,
चाहतें होती नहीं कम , इस जहाँ में,
‘नील’ का रुकना,खुशी का सिलसिला हो ।
✍नील रूहानी,,, 13/06/23,,
( नीलोफ़र खान )