ग़ज़ल _ महकती जब ये मिट्टी प्यार की नींदें उड़ाती है ,
एक ताज़ा #ग़ज़ल 🌹🥰
दिनांक _23/07/2024,,,,
बह्र….1222 1222 1222 1222,,
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1,,,
महकती जब ये मिट्टी प्यार की नींदें उड़ाती है ,
बरसती झूम के बारिश , नई दुनिया दिखाती है।
2,,,
बदन तर हैं सभी के फिर भी फिकरें घर की ले आई ,
इधर बाज़ार में सोचें , बिना मतलब नचाती है ।
3,,,
खुशी बारिश की सबको है , टमाटर चैन छीने क्यों ,
लगा सावन मचलता सा , अभी बरखा सताती है ।
4,,,
हिना हाथों में मचले है , पिया का दिल लुभाने को,
कहीं जाना नहीं सखियों , हवा झूले , झुलाती है।
5,,,
खनक कुंदन , सजे चंदन ,गुलाबों की कतारों पर ,
लिए गुल “नील” गुलशन में सभी का दिल लुभाती है ।
✍️ नील रूहानी ,,,, 23/07/2024,,,,
( नीलोफर खान )