ग़ज़ल _ दर्द बन कर तुम मेरी आँखों में आते क्यूँ नहीं।
ताज़ा ग़ज़ल, आपकी नज़र 🥰
दिनांक _ 04/12/2024
1,,
दर्द बन कर तुम मेरी आँखों में आते क्यूँ नहीं ,
किसने रोका है तुम्हें, मुझको बताते क्यूँ नहीं।
2,,
शाख़ गुल टूटी कहीं , टूटा क़हर बादल गिरे ,
वक़्त ने कब कब निचोड़ा है, सुनाते क्यूँ नहीं ।
3,,
शोर बरपा हो रहा, वीरानगी हर सू दिखे ,
इस तरह की हर तबाही को , हटाते क्यूँ नहीं ।
4,,
ज़िंदगी लेगी किसी दिन,अश्क़ बारी की ख़बर,
बा- वफ़ा दिलदार को फिर से बुलाते क्यूँ नहीं।
5,,
चाहतों के दरमियाँ, होता नहीं मुझको सुकूँ ,
जाम होठों से लगाकर, मुँह चिढ़ाते क्यूँ नहीं।
6,,
पास आओ हम करें कुछ गुफ्तगू लहरों के सँग,
“नील”साहिल पर जो आते, मुस्कुराते क्यूँ नहीं।
✍️नील रूहानी,,,04/12/2024,,,,,,,,🥰
( नीलोफर खान)