ग़ज़ल _मुहब्बत के मोती , चुराए गए हैं ।
ग़ज़ल
बह्र…122 122 122 122
क़ाफिया _ आए ,,, रदीफ़ _ हैं ,,
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1,,
मुहब्बत के मोती , चुराए गए हैं ,
वही दूसरों पर , लुटाए गए हैं ।मतला
2,,
कसक दिल की ऐसी न कहते बने अब ,
वफ़ा बांटने में , मिटाए गए हैं ।
3,,
नज़र भर न देखा , न आवाज़ दी थी ,
ख़ता क्या हुई जो , गिराए गए हैं ।
4,,
सयासत का चक्कर सियासत से सुलझे ,
बगावत दिखा कर , बनाए गए हैं ।
5,,
गरीबों की क़िस्मत में, नश्तर चुभो कर ,
जिगर दिल लहू , आंख लाए गए हैं ।
6,,
ज़मीं क्या हिली, इक क़यामत सी आई,
हज़ारों व लाखों के , साए गए हैं ।
7,,
ये दुनिया के झगड़े, निपटते नहीं क्यों ,
कहा “नील” ने जब , हटाए गए हैं ।
✍️नील रूहानी ,,, 07/06/2024,,,
( नीलोफर खान)