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30 Nov 2024 · 1 min read

#ग़ज़ल-

#ग़ज़ल-
■ कौन क्यूं किसलिए पुकारेगा?
【प्रणय प्रभात】

– जो डुबाएगा वो उबारेगा।
जिसने तारा है वो ही तारेगा।।

– जैसे आए थे वैसे जाना है।
वस्त्र अपना कोई उतारेगा।।

– धरम-करम की गठरिया सहेज बैठे हैं।
पता है हाथ फ़रिश्ता कोई पसारेगा।।

– जंग ख़ुद से हो या ज़माने से।
दिल ही जीतेगा दिल ही हारेगा।।

– अजनबी आपके शहर में हम।
कौन क्यूं किसलिए पुकारेगा?

– वक़्त ने ज़ख्म कर दिए धुंधले।
वक़्त जब चाहेगा उभारेगा।।

– बन्द कमरे में मौन है दर्पण।
किसको देखेगा क्या संवारेगा??

– सोच में जिसके बस तबाही है।
रूप गुलशन का क्या निखारेगा??
😊😊😊😊😊😊😊😊😊
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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