ग़ज़ल
ग़ज़ल
दोस्त हमेश साथ रहेगा।
जीवनभर वह खड़ा रहेगा।
कभी नहीं वह पलटा मारे।
मनमोहक हर बात कहेगा।
दिल से स्वच्छ दोस्त है प्यारा।
कभी नहीं वह दूर हटेगा।
सदा बात का धनी दोस्त है।
वचनबद्ध वह नहीं हिलेगा।
भले स्वार्थ में सभी लिप्त हैं।
दोस्त प्रेम से डटा रहेगा।
साथ निभाना दोस्त हमारा।
सहज जानता सत्य दिखेगा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।