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28 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

रदीफ़-न करो
काफिया-आ
2122 1212 22 /112

नाम मेरा कभी लिया न करो,
याद बातें सभी किया न करो।

साथ दोगे कहां तलक मेरा,
कोई वादा मुझे दिया न करो।

दर्द का जाम हम रहे पीते,
दूर मुझ से इसे रखा न करो ।

जख्म भरता नहीं कभी मेरा,
छोड़ दो अब खुला दवा न करो।

सफर ‘सीमा’ कटे अकेले ही,
यूं किसी से कभी गिला न करो ।

सीमा शर्मा

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