ग़ज़ल
रदीफ़-न करो
काफिया-आ
2122 1212 22 /112
नाम मेरा कभी लिया न करो,
याद बातें सभी किया न करो।
साथ दोगे कहां तलक मेरा,
कोई वादा मुझे दिया न करो।
दर्द का जाम हम रहे पीते,
दूर मुझ से इसे रखा न करो ।
जख्म भरता नहीं कभी मेरा,
छोड़ दो अब खुला दवा न करो।
सफर ‘सीमा’ कटे अकेले ही,
यूं किसी से कभी गिला न करो ।
सीमा शर्मा