ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 19 )
बह्र _ 1222-1222-122
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
काफ़िया _ आ /// रदीफ़ _है
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ग़ज़ल
1,,
ज़माने से , मुहब्बत सिलसिला है ,
इसी जज़्बे से सर ,अब तक झुका है ।
2,,
कहीं बारिश , कहीं सूखी हवाएं ,
वफ़ा मौसम न कर पाया , ख़फ़ा है ।
3,,
ज़रा छूकर तो देखो , महजबीं ये,
तुम्हारा नाम , पानी पर लिखा है ।
4,,
नज़र से क्यूं , पिलाते हो नज़र को ,
तुम्हीं देखो , अभी बाक़ी नशा है ।
5,,
लबों पर मुस्कुराहट , रख हमेशा ,
फ़क़त ज़ख्मों की बस , ये ही दवा है ।
6,,
रहे आबाद , तेरी ज़िंदगी भी ,
हमारे साथ रहती , ये दुआ है ।
7,,
कभी तो पास आकर , मुस्कुरा दो ,
यही बस नील की , इक इल्तिजा है ।
✍️ नील रूहानी,,,, 14/05/2024,,,
( नीलोफर खान ,स्वरचित )
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