ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 9 )
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बह्र 121 22 121 22
फऊल फेलुन फऊल फेलुन
काफ़िया _ आँ // रदीफ़ _ हैं
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ग़ज़ल
1,,
कमाल की यार बाजियाँ हैं ,
सभी मुहब्बत की तख्तियाँ हैं ।
2,,
उड़ान भरने को शोखियाँ हैं ,
यही तो प्यारी सी बेटियाँ हैं ।
3,,
अगर हों घर में उदासियां सी ,
मिटाती इनकी ही मस्तियाँ हैं ।
4,,
ये कीमती शौक़ में रवानी ,
भरोगे तुम इत्र, शीशियाँ हैं ।
5,,
सुना गईं जो हमार नानी ,
ये प्यार की सब कहानियाँ हैं ।
6,,
सँभाल रक्खी वही मुहब्बत ,
बचा रखी जो , निशानियाँ है ।
7,,
मिलन भी महबूब से ही होगा ,
हवाले कर देंगे , अर्जियाँ हैं ।
8,,
मिलन भी महबूब से ही होगा ,
हवाले कर देंगे , अर्जियाँ हैं ।
✍️नील रूहानी ,,17/05/2024,,,,
( नीलोफर खान , स्वरचित )