ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 2 )
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बह्र : 212 212 212 212
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
काफ़िया : ए
रदीफ़ : गैर मुरद्दफ़
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ग़ज़ल
1,,
जब किताबें खुलीं , फूल सूखे मिले
हाथ में आ गए सारे ख़त आपके । मतला
2,,
खुशबुओं की महक ने झिंझोड़ा मुझे ,
होश खोने लगे , बोलते बोलते ।
3,,
आप होते यहां तो दिखाते सभी ,
क्या ग़ज़ब शरबती रंग में सब भरे ।
4,,
देखने हम लगे एक ख़त खोल कर ,
प्यार ऐसा दिखा ,अश्क़ झरने लगे ।
5,,
ज़िक्र कैसे करूं लफ़्ज़ थे खुशनुमा
भूल कर काम सब , फ़ोन करने लगे ।
6,,
रौशनी देख खुश हो गया दिल मेरा ,
चांद पूनम का निकला गगन के तले ।
7,,
पट खुले सामने थे खड़े फिर सजन,
“नील” बोले नहीं, बस गले लग गए ।
✍️नील रूहानी,,, 03/05/2024,,,,
( नीलोफर खान,, स्वरचित )