ग़ज़ल
बड़े जब रहबरी से दूर होते हैं।
तभी बच्चे यहाँ मगरूर होते हैं।।1
बनाते हैं कठिन हालात में रिश्ते,
मगर लम्हों में’चकनाचूर होते हैं।।2
चलाते हैं सभी अब पीठ पर नश्तर,
जमाने के अजब दस्तूर होते हैं।।3
खबर मनहूस आती है तभी अक्सर,
खुशी में हम सभी जब चूर होते हैं।।4
अकेले की रहीं कानून की बातें,
नियम सब भीड़ से तो दूर होते हैं।।5
दरख्तों के तले तिनके नहीं उगते,
यही किस्से यहाँ मशहूर होते हैं।।6
जिन्हें चिंता जरूरतमंद लोगों की,
वही हर आँख का नित नूर होते हैं।।7
डाॅ. बिपिन पाण्डेय