ग़ज़ल
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रोते रहा करेंगे तुम्हें न कुछ कहेंगे।
हम तो वफा करेंगे तेरी जफा सहेंगे।
अश्फ़ाक तू हमारा तेरा ही है सहारा।
तेरे बिना तो सांसें अब हम न ले सकेंगे।
सोए नहीं सदी से ये नयन हैं तरसते।
आखें बनीं समन्दर न थाह ले सकेंगे।
तूफान ने किया है मेरे दिल ये अंधेरा
घर के चिराग को ही रोशन न कर सकेंगे
तूने कभी न देखा मोहब्बतों की नजर से
हम भी निगाह तुझ पर न कर सकेंगे ।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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