गले में हाथ डाले जायेंगे अब,,
गले मे हाथ डाले जाएंगे अब,
छुपे खंज़र निकाले जाएंगे अब,
सुना है की अतिक्रमन हटेगा,
गरीबों के निवाले जाएंगे अब,
हमें अब कौन है जो दे सहारा,
तेरी जानिब हंकाले जाएंगे अब,
वहाँ बैसाखियां हाज़िर हैं कब की,
जहां ये पाँव वाले जाएंगे अब,
निकाला था जिन्हें जन्नत से अशफ़ाक़,
वो दुनिया से निकाले जाएंगे अब,
———√अशफ़ाक़ रशीद