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3 Dec 2022 · 3 min read

गरीब के कहूं गुजारा न।

गरीब के कहूं गुजारा न।
-आचार्य रामानंद मंडल

मोहन बाजल -तलेवरका ।जनला हय। नारायन दिल्ली मे गायब हो गेलय हय।उहां से वोकर संगी रमेसर फोन कलकैय हय।जे हम सभ नारायन के एक महिना से ढ़ूढ़ रहली हए। लेकिन कहीं पता न चलल हय।खबर सुनला पर सभ परिवार रो रहल हय।
तलेवर बजलन -इ तो बड़ा आश्चर्य के बात हय। नारायन त दिल्ली मे ठेकादारी क के तीन बीघा जमीन खरीद लेलक आ ईटा के छतदार मकानो बना लेले रहल हय।
आब त अनर्थ हो गेल।दू गो नाहि नाहि बच्चा के कि होतेय। कनिया बिधबा होके केना जीबतैय।इ सभ ठिकेदारी के कारन भेल होतय। कहीं मार के फेक देले होतय।
मोहन बाजल -गांव में बेरोज़गारी के कारन लोग दिल्ली, पंजाब जाइ हए।देखा कि भे गेलय।
कुछ महिना बाद।
मोहन बाजल -तलेवरका।एगो बात मालूम भेलो हय।
तलेवर बजलन -कि भेलय हय।
मोहन बाजल -हे।बुझावन के कनिया बुझावन के छोड़ के एगो पंजाबी जौडे भाग गेलय हय।पंजबिया कम्पनी में सुपरवाइजर रहलय हय। सुपरवाइजर के बुझावन इंहा आन जान रहलैय हय।बुझावन आ सुपरवाइजर एके कंपनी में काज करैत रहलैय हय।
तलेवर बजलन -हे।बुझावन के कनिया जबरदस्ती दिल्ली गेल रहे।बुझावन बड़ा समझैले रहे अपना कनिया के। लेकिन उ न मानलैक।बुझावन हमरा इ बात बतैले रहे।हमहू कहलीय कि अभी जर जबान हय।ले जाहू।हम कि जाने गेलीय कि शहर मे कि सभ होइ हय।
कुछ महिना बाद।
मोहन बाजल -तलेवरका।अनर्थ हो गेलो।
तलेवर बाजल -कि भेलेय हो।
मोहन बाजल-फेर अपना गांव खेलावन दिल्ली मे गायब हो गेलो।वोकर संगी बुधन के फोन अलैय हय।कि हम सभ एक महिना से ढ़ूढ़ रहली हए। लेकिन आइ तक पता न लागल हय।
तलेवर बाजल -नारायने लेखा वोकरो मार के फेक देले होतय।
मोहन बाजल -शहर मे एना कैला होइ हए।
तलेवर बाजल -पैसा के लेल होइत होतेय। पैसा जमा देखले होतय त मार के फेंक देले होतय।आ पैसा हथिया लेले होतैय।
कुछ महिना बाद।
मोहन बाजल -तलेवरका।जुलुम हो गेलो।
तलेवर बाजल -कि भेलेय।
मोहन बाजल -तलेवरका। बेचन के बेटी गायब हो गेलेय हय। दिल्ली सं फोन आयल हय।बेचन अपना बाबू के फोन कैले रहले हय।
तलेवर बाजल -कि शहर में इहे सभ होइ हय।
मोहन बाजल -तलेवरका। तोरा मालूम हौअ।हम नाम न बताबैओ।एगो त कहैत रहे कि शहर में नौकरानी के उमेर के हिसाब से पगार मिलै हय।पनरह से कम उमर के पांच हजार,पनरह से तीस के दस हजार आ तीस के उपर के सात हजार पगार मिलैय हय।
तलेवर बाजल -त इ सभ होय हय।
मोहन बाजल -तलेवरका।लरकी के खरीद बिक्रीयो होइ हए।लरकी गायब होय के मतलब लरकी के बेच लेल गेल।खास के हरियाना, पंजाब, राजस्थान मे लरकी के बड डिमांड हय। कुछ लरकी त बांग्लादेश आ खाडी के देश तक बेचल जाइ हए।
तलेवर बाजल -हमरा इ सभ न मालूम हय।
मोहन बाजल -हमरा त फेसबुक आ वाह्ट्स एप से मालूम भेल हय।
तलेवर बाजल -गांव के बेरोज़गारी आ सामंतशाही से बचे के लेल लोग गांव के छोड़ के दिल्ली, पंजाब जाइ हए आ वोहू पूंजीपति के शोसन के शिकार होइ हय। गरीब के कहूं गुजारा न।

स्वरचित @सर्वाधिकार रचनाकाराधीन ।
रचनाकार -आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।

Language: Maithili
168 Views
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