गरीबी से हारा इंसान
आज बढ़ती हुई महंगाई और समाज में फैली कुरीतियों के कारण आज भी ऐसे परिवार हैं जिन्हें सपनों के नहीं अपने परिवार का पेट भरना उनका सपना बनकर रह जाता है यह बोलना बहुत ही आसान होता है कि इंसान एकदम गरीब होने के बावजूद भी बहुत बड़ा आदमी बन सकता है यह मानना सभी का होता है यह सही भी है लेकिन जहां तक मेरा मानना है यह बहुत ही कम होता है क्योंकि समाज में आज भी ऐसे परिवार हैं जो बड़े सपनों के साथ जीते हैं और करने की कोशिश में होते हैं परंतु सरकारी मदद के बारे में ना जाने और गरीबी की वजह से अपने सपनों को कुचल देते हैं एक बार लेखिका अपने गांव गई और एक परिवार से मिली जो गरीबी की वजह से अपने सपनों को कुशलता आ रहा था लेखिका की उस भोली लड़की की तरफ नजर गई तब लेखिका उससे उसका नाम पूछा तब लड़की मुस्कुराते हुए नित्या नाम बताया तब लेखिका अपना दूसरा प्रश्न करती है तुम्हारी उम्र कितनी है तब लड़की सोचने लगी और 9 या 10 वर्ष बताई क्योंकि उसे स्वयं ही नहीं पता था लेखिका तीसरा प्रश्न पूछती है तुम यहां अकेले पेड़ के नीचे बैठे क्या कर रही हो तब लड़की ने जवाब दिया मैं यहां अकेले बैठकर गाना गाती हूं तब लेखिका बोली कि तुम यहां बैठकर गाना किसे सुना रही हो तब लड़की ने जवाब दिया मैं अपना गाना पेड़-पौधों प्रकृति को सुनाती हूं तब लेखिका बोली क्या तुम्हारे परिवार वालों को तुम्हारा गाना पसंद नहीं आता उन्हें नहीं सुनाती तब लड़की उदास हो जाती है और लेखिका के चित करने पर वह बोलती है कि मेरे परिवार को मेरा गाना पसंद है पर वह मेरा सपना पूरा नहीं कर सकते हैं तब लेखिका पूछे कि तुम्हारा सपना क्या है तब लड़की बोली मेरा सपना गायिका बनने का है तब लेखिका बोली क्या तुम मुझे अपने परिवार से मिला सकती हो तब लड़की उत्साह से बोली हां हां क्यों नहीं तब लड़की अपने घर ले गई गई उसने अपने पिता से मिलाया जो उस घर में सबसे बड़े थे जो कि लगभग 65 वर्ष की उम्र के थे सिर में पीड़ा हमेशा होने की वजह से बूढ़े 75 उम्र के दिख रहे थे जो थोड़ी बहुत खेती करते और अपना गुजारा करते लेखिका उन बुजुर्ग से पूछिए कि आप अपने आवाज को अच्छे खासे दाम में क्यों नहीं भेजते तब बुजुर्ग ने जवाब दिया हमारा देश बहुत पहले आजाद हो चुका है परंतु आज भी हम आजाद नहीं हुए हैं यानी कि किसान आज भी अपने अनाज को मुंह मांगा रेट नहीं ले सकते हैं उन्हें सरकार के बनाए रेट पर ही अनाज को बेचना पड़ता है कंपनियों का सामान रेट फिक्स करके आता है परंतु हमारा अनाज दूसरे के बनाए गए रेट पर ही बेचना पड़ता है तब वहीं पास में लड़की की माताजी आ गई जो कि शुगर की मारी थी तब लेखिका मां से बोली कि इस लड़की का सपना सिंगर बनने का है तब मां ने जवाब दिया कि मैं चार बेटियों की मां हूं नित्या सबसे छोटी है मुझे इनका पेट भरने में चिंता होती है गरीबी में पेट भरना ज्यादा मायने होता है चार चार बच्चों का पेट भरना कोई आम बात नहीं है लेखिका को यह सुनते ही उसकी आंखें भर आई वास्तव में आज भी हमारे समाज में ऐसे परिवार हैं जो गरीबी से अपने सपनों को उछलते हुए आ रहे हैं पर लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं संदेश लेखिका संदेश देना चाहती है कि अगर किसी की महत्वकांक्षी किसी चीज में है आगे बढ़ने की किसी को तो उसका सपोर्ट करें आगे बढ़ने का मौका दें उसको रुकावट ना करें जिससे हमारा समाज शिक्षित होकर सरकारी मदद अपना विद्रोह शोषण होने से बस सकता है धन्यवाद लेखिका अंकिता सेन उम्र 17 वर्ष कक्षा बारहवीं सब्जेक्ट जीव विज्ञान स्कूल में ही बैठकर लिखा गया निबंध